Friday 5 August 2011

बहुपत्नी प्रथा

Polygamy (बहुपत्नी प्रथा)

वाल : मुसलमानों को एक से अधिक पत्नी रखने की इजाज़त क्यूँ है?  अर्थात इस्लाम एक से अधिक विवाह की अनुमति क्यूँ देता है ?

multiple_marriagesवाब : बहु-विवाह की परिभाषा - इसका अर्थ है ऐसी व्यवस्था जिसके अ नुसार व्यक्ति की एक से अधिक पत्नी अथवा पति हों. | बहु विवाह दो प्रकार के होते है -

१)- एक पुरुष द्वारा एक से अधिक पत्नी रखना .
२)- एक स्त्री द्वारा एक से अधिक पति रखना.

इस्लाम में इस बात की इजाज़त है की एक पुरुष एक सीमा तक एक से अधिक पत्नी रख सकता है जब की स्त्री के लिए इसकी इजाज़त नहीं है की वह एक से अधिक पति रखे.
अब इस प्रश्न पर विचार करते है की इस्लाम में एक व्यक्ति को एक से अधिक पत्नी रखने की इजाज़त क्यूँ है ?

१)-  पवित्र कुरान ही संसार की धार्मिक पुस्तकों में एक मात्र पुस्तक है जो कहती है "केवल एक औरत से विवाह करो " |

संसार में कुरान ही एक ऐसी एक मात्र धार्मिक पुस्तक है जिसमे यह बात कही गई है की 'केवल एक (औरत) से विवाह करो ' | दूसरी कोई धार्मिक पुरस्तक ऐसी नहीं है जो केवल एक औरत से विवाह का निर्देश देती हो | किसी भी धार्मिक पुस्तक में हम पत्नियों की संख्या पर कोई पाबन्दी नहीं पातें चाहे 'वेद', 'रामायण', 'महाभारत', 'गीता' हो या 'तलमूद' व बाइबिल | इन पुस्तकों के अनुसार एक व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार जितनी चाहे पत्नी रख  सकता है |  बाद में हिन्दू साधुओं और इसाई पादरियों ने पत्निओं की संख्या सिमित कर के केवल एक कर दी |

 

हम देखते  है की बहुत से हिन्दू धार्मिक व्यक्तियों के पास, जैसा की उनके धार्मिक पुस्तकों में वर्णन है, अनेक पत्नियाँ थीं | राम के पिता रजा दशरथ की एक से अधिक पत्नियां थीं, इसी प्रकार कृष्ण जी की अनेक पत्नियां थीं |

प्राचीन काल में ईसाइयों को उनकी इच्छा के अनुसार पत्नियाँ रखने की इजाज़त थी , क्यूँ की बिबिल पत्नियों की संख्या पर कोई सीमा नहीं लगाती | मात्र कुछ सदी पहले गिरजा ने पत्नियों की संख्या कम करके एक कर दी |

यहूदी धर्म में भी बहु-विवाह की इजाज़त है | तलमूद कानून के अनुसार इब्राहीम की तीन पत्नियाँ थीं और सुलैमान की सैकड़ों पत्नियाँ थीं | बहु-विवाह का रिवाज चलता रहा और उस समय बंद हुआ जब रब्बी गर्मोश बिन यहूदा(९६० ई० से १०३० ई0 ) ने इसके खिलाफ हुक्म जरी किया | मुसलमान देशों में रहने वाले यहूदियों के पुर्तगाल समुदाय में यह रिवाज (१९५० ई०) तक प्रचलित रहा और आखिर में इस्राईल के चीफ रब्बी ने एक से अधिक पत्नी रखने पर पाबन्दी लगा दी |

polygamy
२)-
मुसलमानों की अपेक्षा हिन्दू अधिक पत्नियाँ रखते हैं

सन १९७५ ई० में प्रकाशित 'इस्लाम में औरत का स्थान कमेटी' की रिपोर्ट में पृष्ठ संख्या ६६,६७ में बताया गया है की १९५१ ई० और १९६१ ई० के मध्य हिन्दुओं में बहु-विवाह ५.०६ प्रतिशत था जब की मुसलमानों में केवल ४.३१ प्रतिशत था | भारतीय कानून में केवल मुसलमानों को ही एक से अधिक पत्नी रखने की अनुमति है और गैर मुस्लिमो के लिए एक से अधिक पत्नी रखना भारत में गैर कानूनी है | इसके बावजूद हिन्दुओं के पास मुसलमानों की तुलना में अधिक पत्निय होती है | भूत काल में हिन्दुओं पर भी इसकी कोई पाबन्दी नहीं थी | कई पत्निय रखने की उन्हें अनुमति थी | ऐसा सन १९५४ ई० में हुआ जब हिन्दू विवाह कानून लागु किया गया जिसके अंतर्गत हिन्दुओं को बहु-विवाह की अनुमति नहीं रही और इसको गैर-कानूनी करार दिया गया | यह भारतीय कानून है जो हिन्दुओं पर एक से अधिक पत्नी रखने पर पाबन्दी लगाता है न की हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ |
अब आइये इसकी चर्चा करते है कि इस्लाम एक पुरुष बहु-विवाह कि अनुमति क्यूँ देता है ?

३)- पवित्र कुरान सिमित बहु-विवाह की अनुमति देता है

जैसा कि पहले बयान किया जा चूका है कि पवित्र कुरान ही एक मात्र धार्मिक पुस्तक है जो निर्देश देती है कि "केवल एक (औरत) से विवाह करो" | कुरान में है - "अपनी पसंद कि औरत से विवाह करो दो ,तीन, अथवा चार, परन्तु यदि तुम्हे भय हो कि तुम उनके मध्य सामान न्याय नहीं कर सकते तो तुम केवल एक (औरत) से विवाह करो |"  (कुरान ४:३ )
कुरान के अवतरित होने से पूर्व बहु-विवाह की कोई सीमा नहीं थी | बहुत से लोग बड़ी संख्या में पत्नियाँ रखते थे और कुछ के पास तो सैकड़ो पत्निया होती थीं | इस्लाम ने अधिक से अधिक ४ पत्नियों की सीमा निर्धारित कर दी | इस्लाम किसी व्यक्ति को दो, तीन अथवा चार औरतों से इस शर्त पर विवाह करने की इजाज़त देता है, जब वह उनके बराबर का इन्साफ करने में समर्थ हो |
कुरान के इसी अध्याय अर्थात सुरह निसा आयत १२९ में कहा गया है :
"तुम स्त्रियों(पत्नियों) के मध्य न्याय करने में कदापि समर्थ न हो गे |"            (कुरान ४:१२९)
कुरान से मालूम हुआ की बहु-विवाह कोई आदेश नहीं बल्कि एक अपवाद है | बहुत से लोगों में भ्रम है कि एक मुसलमान पुरुष के लिए एक से अधिक पत्निया रखना अनिवार्य है |

आम तौर से इस्लाम  ने किसी काम को करने अथवा न करने कि द्रिष्टि से ५ भागों में बांटा है

  • 'फ़र्ज़' अर्थात अनिवार्य |

  • 'मुस्तहब' अर्थात पसंदीदा |

  • 'मुबाह' अर्थात जिसकी अनुमति हो |

  • 'मकरूह' अर्थात घृणित, नापसंदीदा |

  • 'हराम' अर्थात निषेध |

बहु-विवाह मुहाब के अंतरगत आता है जिसकी इजाज़त(अनुमति) है, आदेश नहीं है | अर्थात यह नहीं कहा जा सकता कि एक मुसलमान जिसकी दो , तीन अथवा चार पत्नियाँ हों , वह उस मुसलमान से  अच्छा है जिसकी केवल एक पत्नी हो |



४)- औरतों की औसत आयु  पुरुषों से अधिक होती है  प्राकृतिक रूप से औरत एवं पुरुष लगभग एक ही अनुपात में जन्म लेते हैं | बच्चों की अपेक्षा बच्चियों  में रोगों से लड़ने की  क्षमता अधिक होती है  | शिशुओं के इलाज के दौरान लड़कों की मृत्यु  ज्यादा होती है | युद्ध के दौरान स्त्रियों की अपेक्षा पुरुष अधिक मरते है | दुर्घटनाओं एवं रोगों में भी यही तथ्य प्रकट होता है | स्त्रियों की औसत आयु पुरुषों से अधिक होती है इसी लिए हम देखते है कि विश्व में विधवाओं की संख्या विधुरों से अधिक है |

५)- भारत में पुरुषों की आबादी औरतों से अधिक है जिसका कारन है मादा गर्भपात और भ्रूण हत्या भारत उन देशों में से है जहा औरतों की आबादी पुरुषों से कम है इसका असल कारण यह है कि भारत में कन्या भ्रूण हत्या की अधिकता है और भारत में प्रति वर्ष दस लाख मादा गर्भपात कराये जाते है | यदि इस घृणित कार्य को  रोक दिया जाये तो भारत में भी स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक होगी |

६)- पुरे विश्व में स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक है अमेरिका में स्त्रियों की संख्या पुरुषों से ७८ लाख ज्यादा है | केवल न्यूयार्क में ही उनकी संख्या पुरुषों से १० लाख बढ़ी हुई है और जहाँ पुरुषों की एक तिहाई संख्या सोडोमीज़(पुरुषमैथुन) है और पुरे अमेरिका राज्य में उनकी कुल संक्या २ करोड़ ५० लाख है | इससे प्रकट होता है कि ये लूग औरतों से विवाह के इछुक नहीं है|
ग्रेट ब्रिटेन में स्त्रियों कि आबादी पुरुषों से ४० लाख ज्यादा है | जर्मनी में ५० लाख और रूस में ९० लाख से ज्यादा है | केवल इश्वर ही जनता है कि पुरे विश्व में स्त्रियों कि संख्या पुरुषों से कितनी अधिक है |

७)- प्रत्येक व्यक्ति को केवल एक पत्नी रखने कि सीमा व्यवहारिक नहीं है यदि हर व्यक्ति एक औरत से विवाह करता है तब भी अमेरिकी राज्य में ३ करोड़ औरतें अविवाहित रह जाएँगी (यह मानते हुए कि इस  देश में सोडोमीज़ कि संख्या २.५ करोड़ है ) | इसी प्रकार ग्रेट ब्रिटेन में ४० लाख से अधिक औरतें अविवाहित रह जाएँगी | औरतों की यह संख्या ५० लाख जर्मनी में और ९० लाख रूस में होगी, जो पति पाने से वंचित रहेंगी |

यदि मन लिया जाये कि अमेरिका की उन अविवाहितों में से एक हमारी बाहें हो या आप कि बहन हो तो इस स्तिथि में सामान्तः उसके सामने केवल दो विकल्प  होंगे | एक तो यह कि वह किसी ऐसे पुरुष से विवाह कर ले जिसकी पहले से पत्नी मोजूद है | अगर वह ऐसा नहीं करती है तो उसकी पूरी आशंका होगी कि वह गलत रास्ते पर चली जाये | सभी शरीफ लूग पहले विकल्प को प्राथमिकता देना पसंद करेंगे |

पाच पश्चिमी समाज में यह रिवाज आम है कि एक व्यक्ति पत्नी तो एक रखता है और साथ साथ उसके बहुत सी औरतों से यौन संबंध होते है | जिसके कारण औरत एक असुरक्षित और अपमानित जीवन व्यतीत करती है | वाही समाज किसी व्यक्ति को एक से अधिक पत्नी के साथ स्वीकार नहीं कर सकता, जिससे औरत समाज में सम्मान और आदर के साथ एक सुरक्षित जीवन व्यतीत कर सके |

और भी अनेक कारण है जिनके चलते इस्लाम सिमित बहु-विवाह की अनुमति देता है | परन्तु मूल कारण यह है कि इस्लाम एक औरत का सम्मान और उसकी इज्ज़त बाकी रखना चाहता है |

 

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